अगर...

....तस्वीरों में रिश्तें नहीं खोते
ख्वाबो में किश्ते नहीं होते
बातों का कारवां न रुकता
कल के सामने आज न झुकता

यादों की ज़रुरत न होती
इतिहास की हैसियत न होती
तारीखों में हकीकत न खोती
खतों की शख्सियत न होती

कैलेंडर से उम्र नापना न पड़ता
घडी से ज़िन्दगी मापना न पड़ता
अख़बारों में 'आपके सितारें' न छपते
हर कोई, हर लम्हा माला न जापता

...वक्त अगर लहरों की तरह होता
तो पल भर के लिए ही सही
तुम तुम होती, मैं मैं होता

0 Comments:

Post a Comment