ये रंग ही तो हैं
ये शायद वहीं रंग हैं
जो आसमां थे कभी छाएं
जिनकी भीनी खुशबूं
लायी थी वो अंजान फिज़ाएं
ये शायद वहीं रंग ही हैं

ये रंग ही तो हैं
जिनसे कभी वो खेला करते थे
हाथों में गुलाल
गाल पर गुलाबी
और आखों में अजीब सी कशिश हुआ करती थी
ये शायद वहीं रंग हैं

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