कटते हुए पतंग ने मांझें से पूछा
उलझा तो तू, पर मैं क्यों कटा
मेरी क्या गलती थी
मैंने क्या था किया
मेरा क्या होगा, क्या तूने कभी है सोचा
मांझे ने बोला
आसमां में उड़ने की
चाहत तेरी थी
बादलों में तू बसना चाहता था
रिश्ते तूने जोड़े थे
अगर मैंने तोड़ दिया
तो इसमें मेरी क्या भूल
न तो तूने मेरी फितरत को जाना
न ही पूछी मेरी मर्जी
आज मुझे अनजाना क्यों कह रहा है
जब तूने कभी था ही नहीं पहचाना
खुदको कहकर भोला
तू क्या जताना चाहता है
मुझ पर उठाकर उंगली
क्या बताना चाहता है
क्या हुआ है
क्या हुआ था
ये तुझे भी है पता...
मैं तो सिर्फ एक धागा हूं
ख्वाब तो तू बुन रहा था
गलती किसकी है...
अब तू बता
Sid
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